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महिला उद्यमी की समस्याएं

By INDU VISHWAKARMA SUPERVISOR GBUS JAUNPUR March 10, 2021

महिला उद्यमी की समस्याएं (mahila udyami samasya) वैज्ञानिक प्रगति एवं अनेक सामाजिक परिवर्तनों के बावजूद आज भी महिलाओं को समाज मे अबला, निरीह एवं असक्षम प्राणी के रूप मे देखा जाता है। आदिकाल से उद्यमिता पर पुरूषों का वर्चस्व रहा है, इस कारण इस क्षेत्र मे महिलाओं के प्रवेश को आवाँछनीय व अनुपयुक्त समझा जाता है। महिला उद्यमियों के मार्ग मे आने वाली प्रमुख कठिनाईयाँ इस प्रकार है--- 1. पुरूषों से प्रतिस्पर्धा अधिकांश उद्यमी पुरूष होते है तथा वे महिलाओं के प्रति उदासीनतापूर्ण अथवा उपेक्षापूर्ण दृष्टिकोण रखते है। एक ही क्षेत्र के उधम मे महिलाओं को पुरूष उद्यमियों के सहयोग मिलने की अपेक्षा प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। 2. आत्मविश्वास का अभाव पुरूषप्रधान क्रियाकलापों, मीटिंग, सेमिनारों एवं अन्य व्यावसायिक गतिविधियों मे महिलाओं पर्याप्त आत्मविश्वास नही जुटा पाती, क्योंकि प्रायः उनके सकारात्मक एवं उपयोगी सुझावों एवं प्रस्तावों को भी पुरूषों द्वारा अनदेखा कर दिया जाता है। 3. दूसरा दर्जा भारतीय समाज मे महिलाओं को आरम्भ से ही दूसरी श्रेणी का दर्जा देकर पुरूषों से कम अधिकार देकर दिये गये है। पुरूषों से बहस करना, उनका प्रतिकार करना, उनसे प्रतिस्पर्धा करना आदि कार्यों को स्त्रियोचित प्रकृति के प्रतिकूल माना जाता है, इसलिए वे पुरूषों से बराबरी से बहस या तर्क वितर्क नही कर सकती है। 4. पारिवारिक दायित्व महिला उद्यमियों को व्यावसायिक दायित्वों के अलावा पारिवारिक दायित्वों का निर्वाह भी करना होता है। पारिवारिक दायित्वों के निर्वाह की अनिवार्यता के कारण महिला उद्यमी अपने उद्योग या व्यवसास पर पूरा ध्यान एवं समय नही दे पाती है। इस प्रकार महिला उद्यमियों पर दोहरा कार्यभार होता है। 5. रूढ़िवादी विचारधार अनेक प्रकार के उद्यमों एवं सेवा व्यवसायों मे स्त्रियों के प्रवेश को आवाँछनीय तथा वर्जित माना जाता है। पुरूष प्रधान कार्यों या सेवाओं मे जाने से महिलाएं हिचकिचाती है। 6. घर के सदस्यों द्वारा सहयोग न करना सामान्य रूप से यह देखने मे आता है कि घर की महिलाओं द्वारा ही उधमी महिला का शोषण किया जाता है। अधिकांश सासों द्वारा महिला उद्यमी को अपनी प्रतिद्वंद्वी के रूप मे देखा जाता है। भारत की पारिवारिक व्यवस्था भी महिला उद्यमी की सफलता के मार्ग मे एक बाधा है। 7. सामाजिक बंधन यद्यपि पर्दा प्रथा, रात्रिकालीन कार्य तथा व्यवसाय विशेष मे विशेष प्रकार की वेशभूषा का आज उतना महत्व नही रह गया है। तथापि रात्रि मे देर से आना, पुरूषों के संग उन्मुक्त भ्रमण एवं भाषण को आज भी समाज मे शंका से देखा जाता है, जबकि उद्यमी क्षेत्र मे ये सब बातें आवश्यक है। 8. गतिशीलता का अभाव महिला उद्यमियों मे गतिशीलता का अभाव होता है। महिलाएँ एक उद्यम को छोड़कर दूसरे उधम को अपनाने की जोखिम नही उठा पाती है। एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने-जाने मे भी कतराती है। 9. स्वयं निर्णय क्षमता का अभाव सामान्यतया महिला उद्यमी अपने व्यवसाय या उद्योग संचालन के लिए अपने पति, पुत्र, भाई, रिश्तेदार या पुरूष अधिकारियों की सलाह पर निर्भर रहती है। उनमे स्वयं निर्णय क्षमता का अभाव होता है। ऐसी स्थिति मे शीघ्र निर्णय नही लिये जा सकते है। 10. अन्य समस्याएं महिला उद्यमियों को उपरोक्त समस्याओं के अतिरिक्त निम्म और भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है-- (अ) बिक्री तथा विपणन समस्या। (ब) उधारी आदि वसूलने की समस्या। (स) असफलता का डर। (द) दौड़-भाग करने मे असमर्थता। (ई) श्रमिकों एवं कर्मचारियों के साथ मिलकर कार्य न कर पाना। उपरोक्त समस्याओं को बताने का मूल उद्देश्य महिलाओं को उन परेशानियों पूर्वाभास दिलवाना है, जिनके उद्यमिय/व्यावसायिक जीवन अपनाने की दशा मे उनके सामने आने की संभावना है। क्योंकि इनमे से ज्यादा स्थितियां ऐसी है, जिनके संदर्भ मे उचित रणनीति अपनाकर उन पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है, इसलिए यह महिला उद्यमियों के विशेष हित मे होगा कि इस वस्तु स्थिति मे निपटने हेतु वे पहले से ही तैयार रहें।

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